Article : कब्ज़ जागरूकता माह : कब्ज़ और मानसिक स्वास्थ्य

डॉ. प्रदीप चौरसिया
हमें समझना होगा कि वर्तमान की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं किस प्रकार एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। पेट से जुड़ी सभी सामान्य दिक्कतों के पीछे महत्वपूर्ण कारण मानसिक तनाव है - खराब पेट मानसिक तनाव को और बढ़ाता है। अपने संपूर्ण स्वास्थ्य को एकाकी रूप से देखने पर ही हल मिलेगा।
अमूमन हर तीसरा व्यक्ति कभी न कभी कब्जियत से परेशान रहता है। लगभग 20% आबादी लंबे समय के कब्ज़ से जूझ रही है। कब्ज़ एक ऐसा स्वास्थ्य लक्षण है जो रोजमर्रा की जिंदगी में आफत घोल देता है।
पेट साफ़ नहीं हुआ यार,दिन खराब जाएगा...
मल/अपशिष्ट जब कोलन में लंबे समय तक रहता है और कोलन उसमें से ज्यादा पानी सोख लेता है। इससे मल/अपशिष्ट सूखा और कड़ा हो जाता है। व्यक्ति को मोशन आता है किंतु मल आसानी से गुदा मार्ग से पास नहीं हो पाता है। ऐसे में कई बार मल त्यागने में दर्द भी होता है - त्यागने हेतु जोर लगाना पड़ता है। इस समस्या को ही कब्ज़/कांस्टिपेशन/पेट साफ न होना कहा जाता है।
एक व्यक्ति के दिन की शुरुआत अक्सर ही मल त्याग से होती है। यह उपापचय का बहुत जरूरी हिस्सा भी है। हमारे भोजन से बचे गैर जरूरी अवयवों का शरीर से बाहर निकलना बेहद जरूरी है।
हम ऑफिस में होते हैं, हमारा ध्यान पेट में होता है...
पेट का भारीपन, गैस बनना, भूख न लगना, मिचली, चक्कर, सिर दर्द, स्ट्रेस, सुस्ती महसूस होना इत्यादि दिक्कतें होती रहती हैं।
हमारी लाइफस्टाइल ही हमारे लाइफ गोल्स के आड़े आ रही
जीवनशैली की अनियमितता, भरपूर फाइबर युक्त भोजन न करना, पर्याप्त पानी न पीना, शारीरिक गतिविधियों/श्रम का न होना, तनावपूर्ण जीवन, थायरॉइड हार्मोन की अनियमितता, अन्य कोई बीमारी/इलाज में प्रयुक्त कुछेक दवाओं के सेवन से कब्ज़ बनता है।
खाओ, खेलो और खुश रहो....
जब आपकी थाली रंगबिरंगी होगी, घर वालों के साथ होगी, शारीरिक श्रम होगा और भरपूर मनोरंजन होगा तो कब्जियत दूर हो जाएगी।
कब्जियत के ज्यादातर मामले अस्थाई होते हैं - खानपान और जीवनशैली के बदलाव, कभी-कभी दवाओं के सीमित प्रयोग से यह शिकायत दूर हो जाती है। कुछेक मामलों में कोई जटिल बीमारी इसका कारण हो सकती है - मंदाग्नि दोष, आईबीएस, आईबीडी, अवसाद, तनाव, वृद्धावस्था, गर्भावस्था इत्यादि। ऐसे में परीक्षण द्वारा उस बीमारी का पता लगाकर उसका उपचार करने पर कब्ज़ के लक्षण भी दूर हो जाते हैं।
इफ गट इज वेल देन आल इज वेल...
पेट का अपना गट दिमाग होता है जिसके अपने कुछ न्यूरॉन्स भी होते हैं। यह देखा गया है कि अतिरिक्त मानसिक तनाव अथवा अन्य मानसिक विकारों की वजह से गट भी अपसेट हो जाता है और इसका सबसे कॉमन लक्षण है कब्ज़। अब अपनी जीवनशैली पर गौर करिए... आप हर वह काम कर रहे जिससे दिमागी स्वास्थ्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होता और अपसेट दिमाग गट को भी अपसेट करता है तो, यह कहावत है कि 'दिल का रास्ता पेट से जाता है' लेकिन यह सच्चाई है कि दिमागी हलचल से पेट बिगड़ जाता है। हमें समझना होगा कि वर्तमान की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं किस प्रकार एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और उपाय भी कितना सहज है?
खाने में रंगत, शारीरिक कसरत और अपनों की संगत।
मिथकों पर प्रहार.....
ऐसा माना/देखा जाता है कि मानसिक बीमारियों के इलाज में प्रयुक्त दवाओं से पेट खराब हो जाता/मुख्यतः कब्जियत हो जाती है।
यहां समझना होगा कि मेंटल कंडीशंस के उपचार में प्रयुक्त कुछ दवाओं के सामान्य साइड इफेक्ट्स में कब्ज भी शामिल होता है। यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। दुनियाभर में तमाम बीमारियों के उपचार में प्रयुक्त सभी दवाओं के कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स होते हैं। हमेशा आपका डॉक्टर ध्यान रखता है कि उन साइड इफेक्ट्स का कोई गंभीर प्रभाव आपके स्वास्थ्य पर न पड़े। इसी वजह से सलाहकार से नियमित मिलते रहना होता है और बदलते लक्षणों को बताना होता है, कई बार कुछ जांचें भी करानी होती है।
इसका कतई मतलब नहीं है कि आप इलाज नहीं लेंगे। पहली बात, हर दवा का साइड इफेक्ट्स आप पर दिखता नहीं है; दिखता है तो जल्दी ही शरीर अनुकूलन कर लेता है। दूसरी बात, डॉक्टर आपको उन साइड इफेक्ट्स के बारे में बताएगा, नियमित जांच करेगा और जरूरत पड़ने पर साइड इफेक्ट्स का भी उपचार करेगा।
कब्ज़ के लिए ज़िम्मेदार बीमारियों जैसे आईबीएस के उपचार में लंबे समय से अवसाद रोधी दवाओं का उपयोग हो रहा है।जब अवसाद या अन्य मेंटल हेल्थ कंडीशंस ही कब्ज़ के लिए जिम्मेदार हों तो इलाज करना ही पड़ेगा न।
अंत में, बात बहुत साफ़ है:
पेट साफ न होने के कारणों का पता लगाएं, सलाहकार की मदद लें, जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाएं और दिमाग एवं गट दिमाग दोनों को सेहतमंद रखें।
- डॉ प्रदीप चौरसिया
सलाहकार मनोचिकित्सक एवं निदेशक: गंगोश्री हॉस्पिटल, गुरुधाम, वाराणसी।

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