जौनपुर। मुफ्तीगंज इमामबाड़ा में शव दफन को लेकर बीते 24 नवंबर को एक समुदाय के लोग जबरदस्ती शव दफ़न को लेकर अड़े रहे लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा समस्त कागजात को देखते हुए शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड लखनऊ में रजिस्टर्ड वक्फ़ संपत्ति इमामबाड़ा मुफ्तीगंज के नाम नंबर 1723 इंद्राज है जिसका खसरा खतौनी में आराजी नंबर 489 व 490 इमामबाड़ा व रास्ते के नाम से दर्ज है।
बता दें कि इमामबाड़ा के बगल के इम्तियाज़ व उनके परिवार के लोगों द्वारा इमामबाड़े की जमीन पर जबरन कब्जा करने के उद्देश्य से बीते 24 नवम्बर को नखडू पुत्र अब्दुल रऊफ की मृत्यु हो जाने पर उपरोक्त लोग जमीन पर कब्जा करने के नियत से शव दफन करने के लिए कब्र खोदने लगे जिस पर शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड में रजिस्टर्ड मुतवल्ली ड्रा बादशाह रिजवी द्वारा आपत्ति की गई जिसको शासन-प्रशासन द्वारा तत्काल संज्ञान में लिया गया। एक सूचना पर केराकत क्षेत्राधिकारी, केराकत प्रभारी निरीक्षक, चौकी प्रभारी युगल किशोर राय के साथ उपजिलाधिकारी केराकत सुनील कुमार मयफोर्स मौके पर पहुंच गये। लॉयन ऑर्डर को मेंटेन करते हुए दोनों पक्षों को सुनने और पूर्व में लिखे स्टाम्प पर सुलहनामा देखा और कागजात का अवलोकन किया जिस पर उपजिलाधिकारी ने आदेश दिया कि उक्त संपत्ति इमामबाड़ा की है जो शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड में पंजीकृत है। इस पर विपक्ष-पक्ष द्वारा पूर्व में स्टांप पेपर पर लिखित सुलहनामा दिया गया था कि आज के बाद हमारे परिवार से किसी भी व्यक्ति को दफन नहीं किया जाएगा।
सुलहनामा में बाद भी जबरन इमामबाड़ा मुफ्तीगंज में शव को दफन करना चाहते थे लेकिन पुलिस विभाग के आलाधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि यहां कोई भी शव दफन नहीं किया जाएगा। इसके बाद दूसरे दिन यानी 25 नवम्बर को रात्रि 9 बजे मृतक नखरू को मुफ्तीगंज के सुन्नी कब्रिस्तान में दफन किया गया। साथ ही मुतवल्ली को निर्देशित किया कि पूर्व में लिखे गये सुलहनामा के हिसाब से इमामबाड़ा मुफ्तीगंज वक्फ़ संपत्ति को बाउंड्रीवाल करा लें जिससे भविष्य में कोई विवाद उत्पन्न न होने पाये।
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