जौनपुर। केवट रामराज्य का प्रथम नागरिक है। रामजी ने केवट से नाव मांगकर छोटो की दीनता समाप्त की तो देवराज इन्द्र से रथ न मांगकर बड़ों का अहंकार समाप्त किया। जिस दिन समाज में बड़ों का अहं और छोटों की दीनता समाप्त हो जाय तो रामराज्य आने में विलंब नहीं होगा। उक्त बातें शिव मंदिर प्रांगण पाण्डेय पट्टी इमलो में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम महोत्सव में विसर्जन दिवस पर वाराणसी से पधारे मानस कोविद डा मदन मोहन मिश्र ने कही।
उन्होंने आगे कहा कि हम अपने कर्मों को जब परमात्मा के चरणों में चढ़ा देते हैं तो परमात्मा अपने हाथों से हमारे सिर का सारा भार उठा लेता है। रावण सुधार चाहता था। तलवार के बल पर परसुराम चाहते थे। कुठार के बल पर किंतु राम ने समाज का सुधार कर दिया अपने व्यवहार के बल पर और राजा किलो में रहते थे किन्तु राजा राम लोगों के दिलों मे निवास करते हैं। प्रतापगढ़ से पधारे मानस प्रवक्ता आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि हमारा संकल्प सात्विक होगा तो विकल्प परमात्मा देगा। ईश्वर अवसर के रूप में अपने को अभिव्यक्त करता है। जरूरत है उन्हें पहचानने की। सकारात्मक सोच ही व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है और नकारात्मक सोच ही व्यक्ति के जीवन का अभिशाप है। हनुमान के मंत्र को मानकर विभीषण लंकेश हो गया।मंच संचालन महेंद्र शास्त्री ने किया। विद्वानों का स्वागत व्यवस्थापक शीतला प्रसाद मिश्र ने किया। इस अवसर पर रामचंद्र शास्त्री, जयनाथ शास्त्री, प्रेम शंकर दुबे, राजेन्द्र दुबे, आशीष द्विवेदी सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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