जौनपुर। जनपद की सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था अपूर्वा भारती के तत्वावधान में संस्था के पूर्व संरक्षक ओमकार नाथ गिरी की पुण्य स्मृति में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन जौनपुर क्लब (इंग्लिश क्लब) के प्रांगण हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष और कोशिश के संस्थापक डॉ वशिष्ठ अनूप ने किया। कवि सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि डॉ राम आसरे सिंह प्राचार्य (टी.डी.पी.जी) कॉलेज थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व सांसद श्याम सिंह यादव, दीवानी न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सुभाष चंद्र यादव और डॉ जयेश सिंह (एम.बी. बी.एस.एम. डी.डी.एम.) मौजूद रहे।कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों सहित संस्था के पदाधिकारियों ने माँ सरस्वती एवं स्व. ओमनाथ गिरी एडवोकेट के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। संस्था के पदाधिकारी और सदस्यों द्वारा सभी अतिथियों, कवियों एवं कवियत्रियों का माल्यार्पण एवं अंगवस्त्र भेंट करके स्वागत से हुआ। कार्यक्रम के प्रथम चक्र का संचालन सभाजीत द्विवेदी प्रखर एवं द्वितीय चक्र का संचालन रीवा मध्य प्रदेश के ऊर्जावान कवि अमित शुक्ला ने किया।
अपूर्वा भारती के अध्यक्ष डॉ अशोक सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अतिथियों, कवियों, अभ्यागतों का स्वागत किया। संरक्षक राणा राकेश सिंह एडवोकेट ने संस्था का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए संस्था के गौरवशाली इतिहास व भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। संस्था द्वारा वृद्धा आश्रम की स्थापना के संकल्प को दोहराते हुए रचनात्मक सहयोग का अनुरोध किया। सरस्वती वंदना शिव किशोर तिवारी खंजन ने प्रस्तुत किया।
ललितपुर से पधारे ओज के सशक्त कवि पंकज पंडित ने कहा "कुर्सी पर बैठे नेता किसी भ्रम में ना रहें, सत्ता किसी के बाप की जागीर नहीं है। आगरा श्रृंगार विधा की कवयित्री निभा चौधरी ने कहा "प्रेम धारण किया धर्मिणी हो गई
जिंदगी एक पल की ऋणी हो गई, रीत में प्रीत की जीत ऐसी हुई, राधिका से मैं जब रूक्मिणी हो गई।
रीवां (म. प्र.) से आये कामता माखन ने कहा "आज भी उनकी कब्र पर यारो खेल रहे ठेले, किस शाहिद की कौन चिता और कहा लगे है मेले। जनपद के कवि संजय सागर ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा "इस दिल को बहारों ने लूटा, मुझे उनकी मोहब्बत मार गई,। रायपुर (छत्तीसगढ़) के युवा कवि हीरामणि वैष्णव ने वर्तमान विसंगतियों को रेखांकित किया "जख्मों को अपनी मौज से मरहम किया करो, मिलता नहीं है वक्त तो वक्त ले लिया करो, रखकर जरा सी दूरियां इस सेल फोन से, कुछ पल सुकून की जिंदगी को भी दिया कर।
लखनऊ की कवियत्री शशि श्रेया ने अपनी अभिलाषा व्यक्त करते हुए कहा "भाल पर एक बिंदिया सजा देना तुम, मुझको चंदा सितारे नहीं चाहिए। संचालक अमित शुक्ला ने समाज की विकृति पर कुठाराघात किया "गलती नहीं है बेटा इसमें तुम्हारी कोई, जान लो ये प्रभु हमें दुख क्यों दिखाते हैं, चार-चार बेटियों की भ्रूण हत्या करने के, बाद हम तुम जैसे बेटों पाए हैं। सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने हास्य एवं व्यंग्य की रचनाएं प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ वशिष्ठ अनूप ने अपनी कई विधा की रचनाएं प्रस्तुत किया "तुलसी के जायसी के रसखान के वारिस है, कविता में हम कबीर के ऐलान के वारिस हैं, हम सीकरी के आगे माथा नहीं झुकाते, कुंभन की फकीरी के अभियान के वारिस है। कवि सम्मेलन देर रात तक दो चक्रो में सम्पन्न हुआ। पूरी रात गीत, गजल, ओज और हास्य व्यंग्य भी रसधार बही। श्रोता समूह पूरी रात भाव विभोर मंच से बंधा रहा।
इस दौरान अपूर्वा भारती ने पूर्व सांसद श्याम सिंह यादव, ओम प्रकाश दुबे एडवोकेट नोटरी अधिवक्ता भारत सरकार, वरिष्ठ पत्रकार राम श्रृंगार शुक्ल गदेला, संस्था के पूर्व संरक्षक स्व. ओंकारनाथ गिरी की धर्मपत्नी जड़ावती देवी को माल्यार्पण करते हुये अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया। संस्था के महामंत्री राधेश्याम पांडेय ने सभी अभ्यागतों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में पूर्व की भांति रचनात्मक सहयोग का अनुरोध किया।
इस अवसर पर वाईपी सिंह, दलश्रृंगार मिश्र, अनिल सिंह कप्तान एडवोकेट, डॉ उमाकान्त गिरी, विजय प्रकाश मिश्र, दिनेश शर्मा एडवोकेट, सत्येंद्र सिंह, दया नरायन सिंह, विनोद वर्मा एडवोकेट, प्रेम प्रकाश मिश्र पत्रकार, कोषाध्यक्ष फूलचंद्र तिवारी, संकठा प्रसाद पांडेय, नितेश सिंह, विकेश उपाध्याय, रामशीष पांडेय, कमलाशंकर यादव, रामसरन प्रजापति, विनोद राय, पांचू राम एडवोकेट, रमेश सिंह एडवोकेट, धनंजय सिंह एडवोकेट सहित तमाम साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
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